25 अगस्त 2017 – भारतवर्ष के इतिहास में एक काले अध्याय के तौर पर दर्ज हो चुकी इस तारीख को बीते आज 505 दिन हो चले हैं और निमिष की कहानी फिल्मी अंदाज में नित-नए अनुभवों से गुजरती हुई और अधिक रोचक हो चली है। जिज्ञासु निमिष शांत कहाँ बैठने वाला था.. वापिस आते ही शुरू हो गया “गूगल देवो भवः” पर बाबा का अगला पिछला सब खंगालने। प्रतीत हुआ कि दुनियाभर के सब बुरे कर्म बाबा राम रहीम पहले ही कर चुके हैं। उन्होंने बलात्कार, हत्या, ईश्वर के नाम पर ठगी, दंगे भड़काना, अपने लिए ऐशो आराम की ऐशगाह बनाना व ओर भी न जाने क्या क्या किया, अब तो बस जैसे 100 चूहे खाकर बिल्ली हज को जानी बाकी थी।
लेकिन, हर सिक्के का दूसरा पहलू भी जरूर होता है। निमिष उसे जाने बगैर शांत बैठने वाला नहीं था। जैसे कि विद्वानो का मत है कि आंखों देखी कानों सुनी से ज्यादा बेहतर होती है संयोगवश निमिष का परिचय एक सहकर्मी व डेरा सच्चा सौदा श्रद्धालु रामसिंह से हुआ। ऐसा आभास हुआ मानो खुद सच चलकर उसके दरवाज़े दस्तक दे रहा हो।
अब हर रोज़ परते दर परते खुलने लगी व निमिष ने बिल्कुल निष्पक्ष रहकर बाबा के कारनामों का अध्ययन किया तो उसके जेहन में हैरानी, गुस्से और उदासी के मिश्रित भाव उमड़ने लगे। आखिर कैसे करोड़ों का हृदय परिवर्तन करने वाली एक उच्च हस्ती को दुनिया पहचान ना पाई। या फिर शायद ये कह लो कि हुकूमतों का सच्चे संतों से पुराना वैर रहा है। पर इतिहास ये भी जरूर कहता है कि नानक, राम, पैगम्बर साहब और मसीह को आज भी पूजा जाता है और बाबर, रावण और बाकी निर्दयी सल्तनत के आकाओं की हस्ती धूल चाट रही है।
अब निमिष भी सच्चा सौदा का श्रद्धालु बन गया है, एक ऐसा श्रद्धालु जो कभी बाबा से मिला नहीं, कभी उनको देखा नहीं, परन्तु उनके जन-परोपकारी कार्यों से प्रभावित होकर, उनके करुणामयी और क्षमाशील व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उनके दिखाए मार्ग पर चल रहा है, मानवता भलाई के कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहा है। वह उनके “धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा” का जाप भी करता है और संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसान से पहली प्रत्यक्ष मुलाकात करने को आतुर नज़र आता है। एक ओर जहां आम लोग सोचते थे बाबा की गिरफ़्तारी के बाद उनके भक्तों का डेरा सच्चा सौदा और उसके सच से मोहभंग हो जाएगा वहीं निमिष ने आस्था की एक अलग ही परिभाषा गढ़ दी है.. बाबा राम रहीम के व्यक्तित्व, सृष्टि के प्रति उनकी असीम करुणा और मानव-कल्याण की डगर पर उनके अनथक प्रयत्नों का करीबी से अध्ययन कर लेने के बाद वह ये जानता और समझता है कि कोई सामान्य इंसान ऐसा नहीं कर सकता, कोई ईश्वरीय शक्ति ही ऐसे अकल्पनीय कामों को अंजाम दे सकती है। निमिष एक ऐसा भक्त है जिसने गुरुमंत्र लिए बिना ही रूहानियत की सीढ़ियां चढ़ते हुए गुरु में हरि का एहसास प्राप्त किया है। अब अंत मे आप सभी के लिए एक प्रश्न छोड़ जाना चाहते हैं, मालूम लगे तो बताइयेगा जरूर।
“ऐसा प्रतीत नही होता कि अंदर रहकर भी बाबा अपने निराले तरीकों से न केवल पुराने भक्तों का हौसला बढ़ा रहे हैं बल्कि सच्चाई का कारवाँ भी लंबा करते जा रहे हैं?”
✍️@veritywhoopers